"लिखित शब्दों की ताकत से जो वे हासिल करना चाहते है, वह है की "तुम्हे सुना सके, तुम्हे महसूस करा सके।" कला लोगों को उन चीज़ों के बारे में और अधिक शिद्दत से बताती है जो पहले से है। इस प्रक्रिया में कला चुप्पी को इस तरह आवाज़ देती है की अगर उसे कुचल भी दिया जाये तो भी वह फिर उठेगी, और अधिक फैलेगी और अपने अस्तित्व का गीत गाएगी। कला इसी अर्थ में चीखती हुई चुप्पी है।"
- जोसफ कोनराड
- जोसफ कोनराड
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